लेखनी प्रतियोगिता -15-Feb-2022
ये कैसा चुनाव पति का एक तुम्हें चुना जीवन साथी के रूप में
मानो गहरा पाप हुआ।
तब मुझे भी समझ ना थी।
कैसा मुझसे अपराध हुआ।
तब कैसे चिकनी चुपड़ी
बातों में मैं बहकावे से आ बैठी।
ना कोई इसका जिम्मेदार,
मैं खुद ये गलती कर बैठी।
सुना है जीवन साथी से
आत्मा का मिलन होता है।
लेकिन यहाँ तो हर रोज
मेरा तिरस्कार हुआ कर ता है।
मैं थी जो अब नहीं
मुझे उसका आभास ना रहा।
इतनी गलतिया निकाली
तुमने, मुझे तो खुद के
होना ही बेकार लगा।
क्या ऐसे होते हैं पति
जरा मुझे समझाए कोई।
मैने तो खुद के हाथों
खुद का दाह-संस्कार किया।
है ईश्वर जो मुझको जीवन दो,
नारी का जीवन नहीं चाहिए।
बना दो चाहे तितली,
उड़ने का हक तो चाहिए।
Shrishti pandey
16-Feb-2022 12:28 PM
Nice
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Punam verma
16-Feb-2022 09:06 AM
Nice
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Abhinav ji
16-Feb-2022 12:10 AM
बहुत ही बढ़िया
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